आजादी का सुख:- एक सुनहरी चिड़िया रहती थी। वह जब भी गाती तो उसकी जोर से सोने के मोती निकलते थे। एक दिन एक चिड़िया मारने चिड़िया के मुंह से मोती झड़ते देख लिया। उसने चिड़िया को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। बदकिस्मती से चिड़िया जाल में फस गई। चिड़ीमार ने चिड़िया को पकड़कर एक सुंदर पिंजरे में कैदकर दिया।
आजादी का सुख
वह सुनहरी चिड़िया का बहुत ध्यान रखता उससे अच्छा अच्छा गाने को देता परंतु अब चिड़िया गाती नहीं थी। बहुत दिन बीत गए। जब चिड़िया मार को एक भी मोती नहीं मिला तो उसने वह चिड़िया नगर सेठ को बेच दी।
नगर सेठ राजा से मिलने राज महल जा रहा था। उसने वह चिड़िया राजा को उपहार में दे दी।
राजा ने सोचा,” इस चिड़िया का मेरे लिए कोई उपयोग नहीं है। अतः क्यों ना खेलने के लिए इसे अपनी बेटी को दे दूं।”
राजकुमारी बहुत नेक दिल थी। वह किसी भी जीव को नुकसान नहीं पहुंचाती थी। जब उसने चिड़िया को बंद पिंजरे में उदास पाया तो पिंजरा खोल दिया।
आजाद होते ही चिड़िया चहक-चहक कर गाने लगी तथा उसके मुंह से फिर मोती झरने लगे।
उसने राजकुमारी को धन्यवाद दिया तथा वहीं रहकर राजकुमारी के लिए मधुर गीत गाने लगी।
अतः गुलाम बनते ही व्यक्ति के सारे गुण नष्ट हो जाते हैं।