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लोसार त्योहार भारत, तिब्बत, सिक्किम, नेपाल,और भूटान में तिब्बती नव वर्ष के मौके पर मनाया जाता है। भारत के लद्दाख क्षेत्र के लेह भाग में प्रतिवर्ष नए साल के दिन इस उत्सव पर बौद्ध देवताओ को धन्यवाद देने हेतु मनाया जाता है। लोसर त्यौहार इस वर्ष 21 फरवरी को मनाया जायेगा।
वर्ष 2023 में लोसार का त्यौहार किस तारीख को मनाया जाएगा, हम आपको विस्तार से बताते हैं, कब, कैसे तथा किस तरीके से लोसार त्यौहार मनाया जाता है-
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Losar Festival 2023
वर्ष 2023 में लोसार त्यौहार का पर्व 21 फरवरी को मनाया जाएगा
लोसार त्यौहार में लोसर मतलब”लो” शब्द का अर्थ होता है “वर्ष” और “सार” शब्द का अर्थ “नया” है। लेह लद्दाख में बुद्धिस्ट एसोसिएशन के युवा विंग द्वारा हर वर्ष ‘लोसर’ उत्सव का जश्न मनाया जाता है।
लोसार त्यौहार की पौराणिक कथा | Pauranik katha
‘लोसर’ को बौद्ध समुदाय के नव वर्ष की शुरुआत के दिन इस उत्सव को मनाया जाता है। लोसर उत्सव हिन्दू कैलेंडर के अनुसार , 11 वे माह में मनाया जाता है। इस त्यौहार का शुभारंभ 17वीं शताब्दी में तिब्बत के नौवें राजा के वर्चस्व के समय से एक परंपरा के रूप में की गयी थी, उस समय राजा जमैयांग नामग्याल के द्वारा सर्दियों में बाल्टिस्तान के विरुद्ध युद्ध करने का निर्णय लिया था और उत्सव को युद्ध से पहले मनाया था। तब से लोसर उत्सव तिब्बती कैलेंडर के नव वर्ष के दिन को लोसर के रूप में मानते हैं।
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लोसार त्यौहार का महत्व | Importance of Losar Festival
इस उत्सव पर बौद्ध लोसार के सभी स्थानीय देवताओं को प्रसन करने हेतु देवताओ के लिए अगरबत्ती जलाई जाती है । स्थानीय लोगो की ये अवधारणा है। कि देवताओं को प्रसन करने से सभी स्थानीय लोगों का भला होता है।
लोसर मानाने की विधि
आधुनिक समय के अनुसार, लोसार त्यौहार को तीन दिवस के लिए मनाया जाता है। हालांकि, इस त्यौहार में लोसर का 15 दिन पहले से प्री-सेलिब्रेशन को भी शामिल किया जाता है। इसके अलावा लॉसार को प्रथम माह से मनाया जाता है। इस त्योहार में करीब आठ शुभ प्रतीकों के याद करने के साथ इस पर्व की शुरुआत की जाती है, जिसमें छत्र, शंख, कलश और विजय इत्यादि के बैनर भी शामिलित किये जाते हैं। इन से सम्बंधित सभी प्रतीक चिन्ह बौद्ध धर्म से सम्बंधित होता है।
▶ इस त्यौहार के शुरू से ही सभी घरो में सफाई, विभिन प्रकार की विशेष रसोई, और मुख्यतः तिब्बती पकवान तैयार करना शामिल है। ये सभी त्योहार के प्रथम दिन का एक महत्वपूर्ण भाग है। इसके अलावा पकौड़ी एवं एक विशेष सूप तथा गुथुक जो की एक विशेष तिब्बती नूडल है उसके कई पकवान इस त्योहार के समय परोसे जाते हैं।
▶ दूसरे दिन, बहुत से मठों में धार्मिक आयोजन होते हैं। इसके साथ ही बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए खाड़ी में पटाखे जलाये जाते हैं। सभी स्थानीय लोग भी भिक्षुओं को उपहार देकर उन्हें धन्यवाद देते हैं।
▶ तीसरा दिन, नव वर्ष का प्रथम दिन होता है। इस दिन सभी जल्दी उठ कर नए नए वस्त्र धारण करके देवताओं को प्रार्थना करते है। जिसका इस दिन सभी लोग “केप्स” -एक विशेष तरीके का केक और “चांग” जो की एक मादक पेय है उसे पीते है।
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लोसार त्यौहार कब है?
लोसर त्यौहार इस वर्ष 21 फरवरी को है।
लोसर त्यौहार पर किसकी पूजा होती है ?
लोसर त्यौहार पर बौद्ध लोसार के सभी स्थानीय देवताओं की पूजा होती है।
लोसर त्यौहार कितने दिनों तक मनाया जाता है ?
लोसर त्यौहार तीन दिनों तक मनाया जाता है |